संजीत खन्ना
दो टूक न्यूज , बहादुरगढ
टिकरी बॉर्डर के बंद होने से बहादुरगढ़ के उद्यमियों को करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा है। बहादुरगढ़ नॉन लेदर फुटवियर का हब है। यहां 9 हज़ार से ज्यादा छोटी बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं। जिनका सालाना टर्नओवर करीब 80 हज़ार करोड का है..लेकिन रास्ते बंद होने की वजह से ना ही इनका कच्चा माल आ रहा है और ना ही माल सप्लाई हो रहा है। जिसकी वजह से बहादुरगढ़ उद्योग जगत को करीब 20 हज़ार करोड का नुकसान झेलना पड़ा है। बता दे तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन की वजह से साढ़े सात माह से अधिक समय से टीकरी बार्डर बन्द। किसान लगातार अपनी मांग सरकार से कर रहे है, लेकिन सरकार व किसानों के बीच कोई हल निकल नही पाया है। इस दौरान बहादुरगढ के उद्यमी बीच में पिस रहे हैं जिनको इस दिनों में करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा है। इससे पहले भी कोरोना की मार झेल रहे है व्यापारी।
.. उद्यमियों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के बाद सांसदों का दरवाजा खटखटाया
बहादुरगढ़ के उद्यमियों ने पीएम को पत्र लिखने के बाद अब दिल्ली व हरियाणा के सांसदों का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है। सांसदों से टीकरी बार्ड खुलवाने की मांग के साथ-साथ केंद्र सरकार से इस बार्डर को खुलवाने में सहयोग करने की भी मांग की जाएगी। इतना ही नहीं इस दिशा में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करवाने की मांग भी सांसदों से की जाएगी ताकि वे बार्डर खुलवाने की मांग सांसदों के सहयोग से उनके सामने रख सकें। इसी कड़ी में उद्यमियों ने सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल से मिलकर टीकरी बार्डर को खुलवाने की मांग की है। सांसद सुनीता दुग्गल ने उद्यमियों को आश्वासन दिया है कि वे उनकी मांग को पूरा कराने का हरसंभव प्रयास करेंगी और उद्यमियों काे हर संभव सहयोग भी उनकी ओर से किया जाएगा। वे उद्यमियों की मांग केंद्र सरकार के सामने रखेंगी। उद्यमियों के प्रतिनिधिमंडल में बहादुरगढ़ फुटवियर पार्क एसोसिएशन से महासचिव सुभाष जग्गा, वरिष्ठ उपप्रधान नरेंद्र छिकारा, यूनाइटेड फुटवियर मेनुफैक्चरिंग एसोसिएशन बहादुरगढ़ के प्रधान पवन जैन, सतनारायण बंसल, प्रदीप जग्गा, देशराज रेलन आदि शामिल रहे।

..दो हजार से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां पड़ी है बंद: नरेंद्र छिक्कारा
उद्यमी नरेंद्र छिकारा ने बताया कि बहादुरगढ़ नान लैदर फुटवियर का हब है। यहां पर नौ हजार से ज्यादा छोटी, मध्यम व बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं। साथ ही यहां पर आटोमोबाइल, स्पेयर पार्ट्स, पैकेजिंग और अन्य औद्योगिक इकाइयां भी हैं। बहादुरगढ़ में करीब साढ़े सात लाख कामगार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हमारी फैक्ट्रियों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि साढ़े सात माह से ज्यादा समय से बहादुरगढ़ में किसान आंदोलन चल रहा है। इस कारण टीकरी बार्डर बंद है। इस वजह से बहादुरगढ़ के एमआइई पार्ट बी की करीब दो हजार औद्योगिक इकाइयां तकरीबन बंद पड़ी हैं। अन्य औद्योगिक इकाइयों में भी उत्पादन प्रभावित है। बहादुरगढ़ की फैक्ट्रियों के अमूमन कर्मचारी व मालिक दिल्ली से आवागमन करते हैं। राष्ट्रीय राजधानी होने की वजह से कच्चा व तैयार माल की सप्लाई भी दिल्ली से ही होती है। मगर टीकरी बार्डर बंद होने की वजह से बहादुरगढ़ के उद्यमियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उद्यमियों ने सांसद को बताया कि बहादुरगढ़ की फैक्ट्रियों का एक साल में करीब 80 हजार करोड़ का टर्नओवर है। मगर किसान आंदोलन की वजह से 20 हजार करोड़ से ज्यादा के टर्नओवर का नुकसान हो चुका है। किसान आंदोलन की वजह से टीकरी बार्डर बंद होने से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उद्यमी मजबूरन गांवों के रास्ते से आवागमन कर रहे हैं। बहादुरगढ़ पहुंचने में दिल्ली से आने वाले फैक्ट्री मालिक व कामगारों को पांच मिनट की जगह दो घंटे का समय खर्च करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं है फैक्ट्री मालिकों को सामान लाने ले जाने के लिए किराया भी अतिरिक्त देना पड़ रहा है। यह बार्डर दिल्ली पुलिस की ओर से बंद कर रखा है। ऐसे में उद्यमियों ने कम से कम एक साइड से टीकरी बार्डर को खुलवाने की मांग की है ताकि अंतर राज्यीय मूवमेंट आसान हो सके।